Friday, December 25, 2009

बंजारे हैं जाना होगा ( ग़ज़ल )

बंजारे हैं जाना होगा,
जाने फिर कब आना होगा।

बस उतनी ही देर रुकेंगे,
जितना पानी-दाना होगा।

शहर बड़ा पर दिल छोटे हैं,
जाने कहाँ ठिकाना होगा।

चलो किया उसने जो चाहे,
हमको मगर निभाना होगा।

जिसने पथ में कांटे बोए,
वो जाना-पहचाना होगा।

कौन भला चुप रहने देगा,
कुछ तो रोना-गाना होगा।

रोने वाला पागल ठहरे,
हँसे तो वो दीवाना होगा।


दिल में दर्द भरा हो कितना,
होठों को मुस्काना होगा।

मौन रहो तो लोग कहेंगे,
कोई राज़ छिपाना होगा।

प्रियतम को देने की खातिर,
कुछ तो यहाँ कमाना होगा।

कुछ की तो मज़बूरी होगी,
कुछ का मगर बहाना होगा।

शमा जलेगी महफ़िल में पर,
कुरबां तो परवाना होगा।

आज जहाँ है धूम हमारी,
कल अपना अफसाना होगा।


-हेमन्त 'स्नेही'
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