अन्ना के अभियान को शत-शत करें प्रणाम,
रहे न भ्रष्टाचार का कहीं देश में नाम,
कहीं देश में नाम न हो रिश्वतखोरों का,
कारागारों में घर हो सारे चोरों का,
चलो, करें संकल्प आज सब मिल कर इतना,
सहें न भ्रष्टाचार कष्ट हो चाहे जितना।
-हेमन्त 'स्नेही'
कविता के अनुर्वर प्रदेश की ज़रख़ेज़ ज़मीन
5 years ago