Monday, October 20, 2008

मम्मी, चलो चाँद पर जाएँ (बालगीत)


मम्मी, चलो चाँद पर जाएँ।
बढ़िया सी पिकनिक कर आएँ।

बात चाँद की बड़ी निराली,
लगता है अमृत की प्याली,
आसमान में घूमे जैसे
तारों की बगिया का माली।
मगर न आता पास हमारे
चाहे जितना इसे बुलाएं।
मम्मी, चलो चाँद पर जाएँ।

चमके तो धरती उजियाली,
छिप जाए तो रातें काली,
कभी लगे चाँदी का हँसिया
कभी लगे सोने की थाली।
लेकिन सचमुच में कैसा है
देखें, फिर सबको बतलाएं।
मम्मी, चलो चाँद पर जाएँ।


अब तक बातें सुनीं पुरानी,
अजब-गज़ब सी कई कहानी,
चला रही है चरखा कब से
बैठ चाँद पर बुढ़िया नानी।
राज़ खुले चन्दा मामा के
निकलीं सारी गप्प कथाएँ।
मम्मी, चलो चाँद पर जाएँ।

कहते बड़े-बड़े विज्ञानी,
ये सारी बातें बेमानी,
है चन्दा भी पृथ्वी जैसा
मिल जाए बस थोड़ा पानी।
धरती पर है भीड़ बहुत अब
चलो, चाँद पर नगर बसाएँ।
मम्मी, चलो चाँद पर जाएँ।
बढ़िया सी पिकनिक कर आएँ।
~
 
-हेमन्त 'स्नेही'
*

2 comments:

seema gupta said...

कभी लगे चाँदी का हँसिया
कभी लगे सोने की थाली।
लेकिन सचमुच में कैसा है
देखें, फिर सबको बतलाएं।
" wah bhut sunder or jub aap chand pr ho aayen to humko bhee btatna kaisa lgta hai ok "

Regards

loveleen chawla said...

Sir, i never ever thought that my simple work of art will get such beautiful phrases..its amazing..!!

Thanks n rgds
Loveleen chawla