प्यार हर सम्बन्ध का आधार है;
प्यार से मन को मिला विस्तार है;
ज़िन्दगी निःसार है बिन प्यार के,
प्यार जीवन का सहज सिंगार है।
***
प्रेम-पथ की यात्रा अविराम है;
सार्थक लेकिन सदा निष्काम है;
प्यार का अभिप्राय चंचलता नहीं,
प्यार अविचल साधना का नाम है।
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प्यार है अनमोल धन स्वीकार कर;
मत कभी इस सत्य से इनकार कर;
क्या पता भगवान कब किसको मिले,
बस अभी इंसान से तू प्यार कर।
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प्यार अपने ही हृदय का ज्ञान है;
प्यार जीवन का अटल विज्ञान है;
प्यार को पूजा समझना चाहिए,
प्यार प्रभु का श्रेष्ठतम वरदान है।
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-हेमन्त 'स्नेही'
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विनोद कुमार शुक्ल की कविता पर अच्युतानंद मिश्र
2 months ago


4 comments:
सुन्दर सन्देश लिए अतिसुन्दर प्रवाहमयी गीत हेतु आभार...
हर बार की तरह प्रेम में पगा प्रेम का संदेश। आपका यह टोन प्यारा लगता है।
achi seekh hai, prem na karne walon ko bhi prem ka sabak de jati hai. thanks...
बहुत बढिया मुक्तक हैं।बधाई।
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