भीगी धरती, रो रहा गगन, हैं नम आँखें, टूटे से मन,
फिर भी आशा के पुष्पों से नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
अक्षुण्ण सबका सम्मान रहे,
निज मर्यादा का ध्यान रहे,
हों दानव-देव कहीं भी पर,
धरती पर बस इंसान रहे।
फिर कभी किसी भी बाला का हम सुनें न सिसकी या क्रंदन,
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
सत्ता के कान हुए बहरे,
निद्रा में लीन रहे पहरे,
मानव देखो दानव बन कर
दे गया ज़ख्म कितने गहरे!
आखिर कब तक यह सहन करें, संयम के टूट रहे बंधन,
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
आँगन में बिलख रहा बचपन,
सड़कों पर लुटता नव यौवन,
बर्बरता का प्रतिबिम्ब बने
वो रक्त सने निर्वस्त्र बदन.
तपते-झुलसे हर तन-मन पर तुम रख देना थोड़ा चन्दन,
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
-हेमन्त 'स्नेही'
फिर भी आशा के पुष्पों से नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
अक्षुण्ण सबका सम्मान रहे,
निज मर्यादा का ध्यान रहे,
हों दानव-देव कहीं भी पर,
धरती पर बस इंसान रहे।
फिर कभी किसी भी बाला का हम सुनें न सिसकी या क्रंदन,
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
सत्ता के कान हुए बहरे,
निद्रा में लीन रहे पहरे,
मानव देखो दानव बन कर
दे गया ज़ख्म कितने गहरे!
आखिर कब तक यह सहन करें, संयम के टूट रहे बंधन,
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
आँगन में बिलख रहा बचपन,
सड़कों पर लुटता नव यौवन,
बर्बरता का प्रतिबिम्ब बने
वो रक्त सने निर्वस्त्र बदन.
तपते-झुलसे हर तन-मन पर तुम रख देना थोड़ा चन्दन,
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
-हेमन्त 'स्नेही'
1 comment:
सबके जीवन में आयें खुशियाँ... नए साल की हार्दिक शुभकामनायें
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