पुत्रवधू प्रिया के हाथ में एक गिफ्ट पैक था। उसने पैक को खोला और फ्रेम में जड़ी एक तस्वीर मेरे हाथ में थमा दी। तस्वीर देख कर कुछ क्षण के लिए तो मैं ठगा सा रह गया। मेरे कॉलिज जीवन का एक फोटोग्राफ था, जिसे मुंबई स्थित एक नामी स्टुडियो से बड़े आकर में बनवाया गया था। इन्द्रधनुषी रंगों के जमाने में ब्लैक एंड वाइट चित्र देखकर कुछ ऐसा ही एहसास हो रहा था, जैसे कीमती कप की जगह मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीने पर एक सोंधी सी सुगंध मन को ही नहीं आत्मा तक को तृप्त कर देती है।
चित्र एक कवि-सम्मेलन का था, जिसमें मैं अपने गृहनगर मेरठ के मंच पर खड़ा कविता पाठ कर रहा हूँ। अपना लगभग 35 वर्ष पुराना चित्र एक भव्य रूप में देख कर मैं बहुत देर तक रोमांचित रहा। अपने स्वभाव के अनुसार बच्चों को उनके मस्तक चूम कर आशीर्वाद तो दिया ही, साथ ही सोचने लगा कि इस आयु में मुझे इतना अमूल्य उपहार देने के लिए बच्चों ने कितना दिमाग लड़ाया होगा। प्रभु से प्रार्थना है कि वह उनकी वे सभी आकांक्षाएं पूरी करे, जिन्हें मैं पूरी नहीं कर सका।
3 comments:
जन्मदिन मुबारक - वास्तव में अनमोल तोहफा
Really... very-very thoughful gift from them. you must have lived a whole life in those moments of togetherness.
Manjula
Really sir,its unforgattable gift.Happy belated birthday sir
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